सोमवार, 23 सितंबर 2024

स्वार्थबुद्धि मेंढक और सांप: आज के संदर्भ में

एक बहुत बड़े कुंए में हजारों मेंढक रहते थे. स्वार्थबुद्धि वहां का राजा था. एक चुनाव में वह पराजित हो गया. उसे गद्दी छोड़नी पड़ी. अपने विरोधियों को सबक सिखाने के लिए, मदद मांगने के इरादे से, वह कुंए के बाहर निकला. थोड़ी दूर चलने के बाद उसे एक सांप नजर आया. स्वार्थबुद्धि ने सोचा सांप मेंढकों को खाता है. क्यों न इसकी मदद से विरोधियों का हमेशा के लिए सफाया कर दूं. उसके बाद वह हमेशा के लिए कुंए के राजा बन जायेगा. स्वार्थबुद्धि सांप के पास आया और बोला सांप क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे, इससे हम दोनों का फायदा होगा. सांप भी मेंढक को अपने पास आते देख आश्चर्य चकित हो गया था. क्योंकि मेंढक तो सांप को देखते ही भाग खड़े होते है. सांप ने मीठी आवाज में पूछा, तुमसे दोस्ती करने पर मुझे क्या फायदा होगा. आज तुम्हे खा के मेरी भूख जरूर मिट जायेगी. स्वार्थबुद्धि बिना डरे बोला, मुझे खाकर तुम्हारी एक समय की भूख मिट जायेगी, पर यदि मैं तुम्हारा कई महीने के भोजन का इंतजाम कर दूं, तो तुम मेरे दोस्त बनोगे. स्वार्थबुद्धि ने कहा, यहीं नजदीक में एक बहुत बड़ा कुंआ है. उसमे हजारों मेंढक रहते है. मैं वहां का राजा था. लेकिन पिछले चुनाव में मैं हार गया. मैं फिर से राजा बनना चाहता हूं. मुझे कुंए तक जाने का गुप्त रास्ता पता है. मैं तुम्हे कुंए तक ले जाऊंगा, तुम मेरे सारे विरोधियों को उनके परिवार समेत खा लेना. उसके बाद मैं राजा बन जाऊंगा. तुम कुंआ छोड़कर चले जाना. स्वार्थबुद्धि की मूर्खतापूर्ण बातें सुन सांप के मुंह से लार टपकने लगी. वह स्वार्थबुद्धि से बोला तुम शीघ्रता से मुझे कुंए के पास ले चलो, मैं तुम्हारे सारे विरोधियों को खाकर तुम्हे राजा बनाकर, कुंए को छोड़ दूंगा. 

इस तरह सांप कुंए में पहुंच गया. पहले उसने स्वार्थबुद्धि के विरोधियों को खा लिया. स्वार्थबुद्धि राजा बन गया. उसने सांप से कहा अब तुम कुंआ छोड़ के चले जाओ. सांप ने कहा मूर्ख,  मेंढक मेरा भोजन है. सब मेंढकों को खाने के बाद ही मैं यह कुंआ छोडूंगा. तुमसे बड़ा मूर्ख मैने आज तक नही देखा जो अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए अपने शत्रुओं की मदद लेता है. ऐसा कहते हुए सांप ने स्वार्थबुद्धि को निगल लिया. अब कुंए पर सांप का राज हो गया. स्वार्थबुद्धि  ने मेंढकों के शत्रु की मदद ली और कुंए के सभी मेंढकों के विनाश का कारण बना.

हमारा इतिहास बताता है, अपने छोटे- छोटे स्वार्थ सिद्ध करने के लिए जिन्होंने शत्रु की मदद ली. देश के शत्रुओं ने उन्हें भी नष्ट कर दिया.  इसके बावजूद, आज भी हमारे देश के कुछ महत्त्वाकांक्षी राजनेता शत्रु की मदद से देश की गद्दी पर बैठना चाहते हैं. तो कुछ शत्रु की मदद से स्वतंत्र राज्य बनाना चाहते है. उनका हश्र स्वार्थबुद्धि तरह ही होगा. लेकिन अपना स्वार्थ सिद्ध करने के चक्कर में  ऐसे मूर्ख नेता, देश और प्रदेश के लोगो का जीवन भी संकट में डाल देंगे. 


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