बुधवार, 22 अगस्त 2018

हायकू : ऋतु


(छहों ऋतुओंका वर्णन हायकू के माध्यम से करने का प्रयास किया है - हेमंत, वसंत, ग्रीष्म, श्रावण, शरद और शिशिर)

सर्द रातो में 
हृदय में जगे 
सपने बसंतके.

पलाश जले 
कोयल कूके 
देह महके. 

परदेसी पिया 
विरह व्यथा 
मीरा की.

कृष्ण कदम्ब
कालिंदी कुञ्ज
 वर्षा प्यार की.

शरद चांदनी  
अमृत बरसे 
ऐश्वर्यका .

सुगंध फैला 
पक्व फलोंका 
पतझरी पत्तोंका.



मंगलवार, 7 अगस्त 2018

कविता: जिंदगी क्या है.



जिंदगी क्या है? 

वसंत के सुहाने सपने
ग्रीष्म का कठोर संघर्ष 
बरसाती  वादे प्यार के
शरद की चांदनी सा संसार .
 या
बितता है समय केवल 
पतझड़ के इंतजार में!

बुधवार, 1 अगस्त 2018

मोगरा फुलोंकी सुगंध


बस स्टेन्ड पर खड़ा वह बस का इन्तजार कर रहा था. बालों में मोगरा फूलों का गजरा लगाये वह भी बस के इंतजार में  खड़ी थी. रिमझिम बारिश हो रही थी. अचानक धडाSSSम बिजली कड़की. उईsss माँ, घबराकर वह सीने लिपट गई. क्षणभर के लिए. सॉरी! कहते हुए वह दूर हुई. उसी समय उसकी बस भी आ गई. एक नजर उसे देखते हुए वह बस में चढ़ गई. वह अवाक! देखता रह गया.  वह अपने साथ ले गई उसका दिल, और दे गई  उसे, अपना स्पर्श, शरीर की गंध और मोगरा फूलों की सुगंध. उसके लिए समय की घडी वहीं रुक गयी. आज भी सावन में जब बादल गरजते हैं, बिजली कड़कती है. दिखाई देगा तुम्हे, हात में मोगरा फुलोंका गजरा लिए , प्रतीक्षारत  एक बूढा.....