शनिवार, 18 जुलाई 2015

पुनर्जीवन


मनुष्य के मरने के बाद हम राख को  नदी में बहा देते हैं, परन्तु फिर भी जीवन नष्ट नहीं होता है. यह तो एक चिरंतन यात्रा है.  राख बहकर फिर किसी खेत में पहुंची और फिर से ...


राख नदी में  बहा दी 
बहकर खेत में पहुंची.

 एक  वहाँ अंकुर फूटा 
जीवन फिर से जगा.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें