मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

मैफ़िल

 डूबते सूरज के साथ 

मैफ़िल समाप्त गयीl

साथी सभी पुराने 

विदा ले रहे हैं l


अकेलेपन का खौफ़

ज़ेहन में छाने लगा है। 

घुप्प अंधेरे के स्याहे 

अब डराने लगे हैं l


कहीं दूर से सुनाई दी 

माँ की वही  लोरी l

नींद के आगोश में 

खोने का वक्त हैl



रविवार, 17 अक्तूबर 2021

ख़्वाब

 पतझड़  की रातों में

वासंती ख़्वाब देखता हूँ l

टेसू  फूलोंकी आग में

आज भी जलता हूँ l


अधूरे सपनोंकी 

टीस बड़ी गहरी हैl

  खुशियों के पलोंकी 

यादें बड़ी धुंधली हैl


मिट्टी में मिलकर भी 

जीने की आस हैl 

सपनोंको पूरा करने की 

चाह अभी बाकी हैl