गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

पापोंकी गाथा

सफेद कपड़ोसे

ढक दिया शरीर। 

छिपा दिये पाप 

सारे ज़िंदगी भरके।


अग्निमे स्वाहा 

हुआ शरीर 

खत्म हुआ

 हिसाब सारा । 


फिर भी 

मगरमच्छी आसूओंमे

भीगी  जी रही थी 

मेरे पापोंकी गाथा।