सफेद कपड़ोसे
ढक दिया शरीर।
छिपा दिये पाप
सारे ज़िंदगी भरके।
अग्निमे स्वाहा
हुआ शरीर
खत्म हुआ
हिसाब सारा ।
फिर भी
मगरमच्छी आसूओंमे
भीगी जी रही थी
मेरे पापोंकी गाथा।
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