शनिवार, 26 नवंबर 2016

क्षणिकाएं :नोट रद्दी हो गए थे


करोड़ों के नोट थे 
लाखों का लेनदेन था. 
नोटों के बिछाने पे 
रात  को सोया था.

सुबह हुई तो देखा 
नोट रद्दी हो गए थे.  


जो लक्ष्मीजो पर  भरोसा करता है वह एक मूर्ख होता है - समर्थ रामदास
(dasbodh,com)

शनिवार, 16 जुलाई 2016

लघु कविताएँ - स्त्री


(१)
लोग कहते हैं, पद्मिनी चिता में कूदी, जलकर मरी ....


पद्मिनी  चिता में कूदी 
वासना की आग में 
वह  ना  जली. 

(२)

जब वस्त्र नहीं थे, वासना भी नहीं थी. 

भोगदासी  बनी नारी 
जिस क्षण पहने 
वस्त्र तन पर. 

(३)

भौतिक देह वासनामयी होता है, जो  नष्ट हो जाता है, परन्तु प्रेम  अमर होता है. 

वासना भी जल गयी 
देह के साथ साथ  ही.
अमर हो गए लेकिन 
प्यार के तराने, 

बुधवार, 29 जून 2016

पे कमीशन की रिपोर्ट

पे कमीशन की रिपोर्ट आने पर केंटिन में मिठैया  बटती थी. पर  आज  ७वे वेतन आयोग की रिपोर्ट केबिनेट ने मंजूर की.  परन्तु केंटिन में मिठाइयाँ बटने की जगह ख़ामोशी थी. एक निराशाजनक दिन की अभिव्यक्ति ...

तेल की कढाई में आज 
ब्रेड  पकौड़े नहीं उछले.

चाय की केतलियाँ भी आज 
आपस में नहीं बतियाई. 

रंगीन बर्फी भी आज 
कोने में  है उदास बैठी.

एक अजीब सा सन्नाटा  आज 
सरकारी केंटिन में है छाया. 

पे कमीशन की रिपोर्ट आज 
बुरे सौगात  लेकर है आई. 

मंगलवार, 12 अप्रैल 2016

चलता रहूँगा मै चलता रहूँगा.

चलना है जीवन 
रुकना है मौत 
नहीं कोई चारा 
चलने के सिवा.

चलता रहूँगा में 
चलता रहूँगा.

राह में मिले जो सम्बन्धी सगे 
 मुसाफिर अजनबी वो निकले 
कुछ पलों का साथ उनका 
 जख्म दे गया जिंदगी भरका
दिल में सहेज  उन जख्मों को 
अकेला में चलता रहूँगा. 

थके हुए शरीरसे 
रिक्त हुए मनसे 
निरुदेश्य मै
भटकता रहूँगा.

चलता रहूँगा में 
चलता रहूँगा.

मुक्तिका मार्ग

एक प्यासी नदी 
वीरान रेगिस्तान में 
भटक रही थी 
पानी के तलाश में. 

आसमान में उड़ते 
गिद्ध से नदी ने पुछा 
भैया यहाँ कही 
 मिलेगा क्या पानी?

बहना पानी का तो पता नहीं 
शायद आगे मिल जाए 
मुक्ति क मार्ग तुम्हे .

एक मोड़ पर नदी ने देखा 
सूखे बरगद के पेड़ की टहनी पर 
लटकी हुई थी एक लाश. 

धरतीपर पडा था 
खोपड़ियों का एक ढेर 
खेल रहे थे उस पर 
गिद्ध के प्यारे बच्चे 
फुटबाल फुटबाल. 


टीप:
बरगद का पेड़ सबको शरण देता है. परन्तु यह  सूख़ चुका है. यहाँ बरगद का पेड़ आज की शासन व्यवस्था का प्रतिक है.
गिद्ध आज के राजनेता है. जो किसानों आत्महत्या पर भी राजनीति कर रहें हैं. जैसे गिद्ध के बच्चे फुटबाल खेल में केवल एक दुसरे को पास दे रहे हैं.  अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर डालने का  कार्य.