बिहार में एक मशहूर कहावत है "जब तक रहेगा समोसे में आलू, बिहार पे राज करेगा हमारा, लालू"। देश में सबसे ज्यादा खाया जाने वाले समोसे में भी आलू ही होता है। मेरा बचपन पुरानी दिल्ली में बिता। पुरानी दिल्ली में कई बाज़ारों के नाम, उन बाजार में मिलने वाले वस्तुओंके नाम पर है। जैसे तेल वाली गली (गली तेलियाँन) में खाने के तेल बेचने वालों की दुकाने है। परांठा वाली गली में पराठों की दुकाने। वैसे ही एक गली का नाम समोसे वाली गली है। इस गली में तरह तरह के समोसे मिलते है। ज़्यादातर दुकानों में मूंग, चने के दाल के बने समोसे मिलते है। ये समोसे किलो के भाव मिलते है। शादी ब्याह में भी स्टार्टर की तरह परोसे जाते हैं। इसके अलावा मक्खन से बनने वाला समोसा भी प्रसिद्ध है। इस समोसे का कवर मक्खन का होता है और अंदर मेवे भरे होते हैं। इसे बर्फ या फ्रिज में ठंडा रखना होता है। इसके राजसी ठाठ बाट होते हुए भी यह वीआईपी समोसा नहीं कहलाता।
समोसा आम आदमी टाइम पास है। उत्तम नगर मेट्रो स्टेशन के पास एक आदमी पटरी पर आज भी दस रुपए के पाँच समोसे बेचता है। गरीब मजदूर लोग इन सस्ते समोसों को खाकर समोसे खाने का आनंद उठा लेते हैं। ज़्यादातर दुकानदार उबले आलू में नमक, मिर्च, अमचूर इत्यादि मिलाकर समोसा बेचते हैं। जीवन पार्क में एक दुकानदार दिन में ऐसे दो से ढाई हजार समोसे 15 रु का एक बेचकर दिन में मोटी कमाई कर लेता है। ऐसे सैंकड़ों दुकाने दिल्ली में होंगी। कुछ दुकानदार आलू को अच्छी तरह भून कर उसमें कई तरह के मसाले, काजू इत्यादि डाल कर 20 से 25 रुपए का एक समोसा बेचते हैं। समोसे के साथ हरी चटनी और इमली और गुड की मीठी चटनी परोसी जाती है। कुछ दुकानदार खजूर की चटनी भी समोसे के साथ देते हैं। पंजाबी इलाकों में दुकानदार समोसों में आलू के साथ मटर और पनीर भी डालते हैं। ये दुकानदार समोसों को छोले के साथ परोसते हैं। नागपुर शहर में कई दुकानदार समोसे को दही, तीखी और खट्टी मीठी चटनी के साथ ग्राहकों को परोसते हैं। दिल्ली के सैंकड़ों सरकारी दफ्तरों में सस्ता होने की वजह से चाय के साथ समोसा बाबुओंका प्रिय नाश्ता है।समोसे के साथ चाय पीते हुए होने वाली चर्चाओं में ही देश के भविष्य का निर्णय होता है, ऐसा अधिकांश बाबुओं को लगता है।
फिर भी इनमें से कोई भी वीआईपी समोसा नहीं होता है। वीआईपी समोसा फाइव स्टार होटल से आता है। इसकी किंमत कम से कम डेढ़सो सौ रुपए के आसपास होती है। वीआईपी समोसे को खाने का हक केवल वीआईपी लोगों को होता है। आम आदमी गलती से इन्हे चखले तो उसे इसके परिणाम भुगतने पड़ते हैं। पिछले दिनों शिमला में यही हुआ। वीआईपी लोगों के लिए मँगवाए 21 समोसे, गलती से स्टाफ ने खा लिए। पर वे वीआईपी समोसे हजम न कर सके। सीआईडी ने जांच की और पाया "यह सरकार विरोधी कृत्य है"। इसी से पता चलता है वीआईपी समोसा कितना पावरफुल होता है। अब यह मामला मीडिया में जोरदार उछल रहा है, जैसे समोसे कढ़ाई में उछलते हैं। जाहीर है कुछ कर्मचारियों को इसकी कीमत चुकनी पड़ेगी।