गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

पापोंकी गाथा

सफेद कपड़ोसे

ढक दिया शरीर। 

छिपा दिये पाप 

सारे ज़िंदगी भरके।


अग्निमे स्वाहा 

हुआ शरीर 

खत्म हुआ

 हिसाब सारा । 


फिर भी 

मगरमच्छी आसूओंमे

भीगी  जी रही थी 

मेरे पापोंकी गाथा। 




 

मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

मैफ़िल

 डूबते सूरज के साथ 

मैफ़िल समाप्त गयीl

साथी सभी पुराने 

विदा ले रहे हैं l


अकेलेपन का खौफ़

ज़ेहन में छाने लगा है। 

घुप्प अंधेरे के स्याहे 

अब डराने लगे हैं l


कहीं दूर से सुनाई दी 

माँ की वही  लोरी l

नींद के आगोश में 

खोने का वक्त हैl



रविवार, 17 अक्तूबर 2021

ख़्वाब

 पतझड़  की रातों में

वासंती ख़्वाब देखता हूँ l

टेसू  फूलोंकी आग में

आज भी जलता हूँ l


अधूरे सपनोंकी 

टीस बड़ी गहरी हैl

  खुशियों के पलोंकी 

यादें बड़ी धुंधली हैl


मिट्टी में मिलकर भी 

जीने की आस हैl 

सपनोंको पूरा करने की 

चाह अभी बाकी हैl


 







सोमवार, 2 अगस्त 2021

ऋग्वेद: खगोल विज्ञान : पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है


आयं गौः पृश्निरक्रमीदसदन्मातरं पुरः। 

पितरंच प्रयन्त्स्व:॥

ऋषिका: सार्पराज्ञी, देवता: सार्पराज्ञी, सूर्य 

(ऋ. १०/१८९/१)

अर्थ: पृथ्वी गमन करती है। पृथ्वी आकाशगंगा रूपी माँ के घर में है। पृथ्वी अपने पिता सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है।


ऋग्वेद ज्ञान और विज्ञान की खान है। इस खदान में कई कीमती रत्न हैं। हमारे वैदिक ऋषि इस सत्य को जानते थे कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है, फिर भी हमने अपनी दास मानसिकता के कारण उन्हें श्रेय देने का प्रयास नहीं किया। यह लेख सभी को अपने वैदिक ज्ञान से अवगत कराने के लिए है।

प्रत्येक गतिमान वस्तु भी एक "गौ" है। यहाँ "गौ " शब्द का अर्थ पृथ्वी क्यों है? यह सवाल दिमाग में आएगा हीl उसीका स्पष्टीकरण:

ऋचा की दृष्टा ऋषिका का नाम सर्पाराज्ञी है।

प्रथम देवता का नाम भी सर्पाराज्ञी हैहमारी आकाशगंगा भी सर्पिल है। अंतरिक्ष में, वह एक सांप जैसी कुंडली मारी दिखाई देती है। इसलिए ऋषिका ने आकाशगंगा को सर्पाराज्ञी कहा होगा। (यह मेरा निष्कर्ष है)।
दूसरे देवता सूर्य है। भक्त अपने देवता की परिक्रमा करता है, यह हमारी प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा है। दृष्टा ऋषिका हमारी धरती पर रहने वाली मानुषी थी। हो सकता है कि वह दिन-रात खगोल विज्ञान का अध्ययन करती रही हो, विशेष रूप से अपनी आकाशगंगा का, शायद इसलिए उसका नाम सर्पाराज्ञी पड़ा होगा। आकाशगंगा और सौरमण्डल के अध्ययन के बाद उसने निकाले निष्कर्ष का वर्णन उपरोक्त ऋचा में किया। पृथ्वी के लिए उसने "गौ" शब्द का प्रयोग किया। उसीने सर्वप्रथम दुनिया को बताया की पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है।


मंगलवार, 18 मई 2021

अल्लादीन और जिन्न की नई कहानी

 अल्लादीन लोधी गार्डन में मॉर्निंग वॉक कर रहा था। अचानक हवा का एक झोंका आया और उसके साथ ही पेट्रोल की दुर्गंध।  अल्लादीन झल्लाकर मन में बोला,  सुबह-सुबह इतना प्रदूषण, गार्डन में भी साफ ऑक्सीज़न नहीं मिलती। इस प्रदूषण का कुछ करना पड़ेगा।  अचानक उसके पैर किसी चीज से टकरा गए। अल्लादीन गिरते-गिरते बचा। उसने उस चीज पर नजर डाली। अरे, यह तो कोई पुराना दिया लग रहा है। उसने दिये को हाथ में उठा लिया और उसे गौर से देखने लगा।  'बहुत पुराना लगता है। बेचने पर काफी पैसे मिल सकते है।  दिया बहुत गंदा है। जरा साफ करके देखूँ। उसने दिये को अपने रुमाल से रगड़ना शुरू किया। अचानक दिये से धुआँ निकला और एक जिन्न प्रगट हुआ और बोला 'क्या हुक्म है आका?  


जिन्न को देख अल्लादीन  घबराहट से बोला, कोई हुक्म नहीं है। तुम वापस दिये में चले जाओ। जिन्न बोला, आका बिना हुक्म की तालिम किए मैं दिये में वापस नहीं जा सकता। हुक्म तो तुम्हें देना ही पड़ेगा, जिसे पूरा करने के बाद ही मैं  दिये में वापस जा सकता हूँ। अल्लादीन अब तक संभल चुका था उसकी घबराहट दूर हो चुकी थी। उसे समझ में आ चुका था यह जिन्न अब उसका गुलाम है और वह जिन्न का मालिक। अल्लादीन जिन्न से बोला, तो यह बात है, बताओ तुम क्या-क्या कर सकते हो। जिन्न बोला, मेरे लिए कुछ भी असंभव नहीं है। जो काम  इंसान नहीं कर सकते वह सब काम मैं कर सकता हूँ।

जिन्न की बात सुन अल्लादीन ने सोचा चलो इसे सबक सिखाया जाए, वह जिन्न से बोला, एक काम करो, धरती पर से प्रदूषण का जड़ से खात्मा कर दो। चलो जल्दी करो। 

जिन्न हाथ जोड़े चुपचाप अल्लादीन के सामने खड़ा रहा। 

अल्लादीन ने उसे ताना मारते हुए कहा, क्यों, क्या हुआ, ऐसे चुपचाप क्यों खड़े हो, लगता है प्रदूषण के सामने तुम्हारी भी मिट्टी पलीद हो गयी है। मुझे पता है, इस प्रदूषण को जड़ से मिटाना तुम्हारे लिए भी संभव नहीं है। जा चुपचाप दिये में जाकर सो जा । तेरे लायक कोई काम होगा तो बता दूँगा। 

अब जिन्न से रहा नहीं गया वह बोला, आका मैं प्रदूषण को जड़ से मिटा सकता हूँ, परंतु ....

अल्लादीन ने उसकी बात काटते हुए कहा, लेकिन, किन्तु, परंतु, लगता है काम टालने के इंसानी बहाने भी तू खूब सीख चुका है। अपने आका के हुक्म की तालिम कर या साफ कह दे, तेरे बस का यह काम नहीं है। 

जिन्न बोला, आका मैं आपके हुक्म की तालिम करूंगा,  प्रदूषण की जड़ को धरती से मिटा दूँगा। जिन्न ने आंखे बंद की और एक मंत्र पढ़ा। दूसरे ही क्षण अल्लादीन सहित धरती के सारे इंसान जहन्नुम सिधार गए। 

कुछ ही समय बाद धरती से प्रदूषण का पूरी तरह खात्मा हो गया। धरती फिर से हरी भरी हो गयी।