रविवार, 12 अक्टूबर 2025

चिन्या की दिवाली और फटाकों का आनंद

 

सड़क के एक तरफ बड़े-बड़े बंगले थे और दूसरी तरफ झुग्गी बस्ती। यह किसी भी बड़े शहर का आम दृश्य था। दस साल का चिन्या ऐसी ही एक झुग्गी में रहता था। बाकी बच्चों की तरह उसे भी दिवाली पर अनार, चरखी, रॉकेट जैसे फटाके चलाने की इच्छा थी।

उसके पापा ने उसे एक छोटा सा पिस्तौल दिलाया था। दिनभर टिकली चलाकर वह ऊब गया था। शाम को जब उसने आसमान में उड़ते रॉकेट देखे, तो उसे महसूस हुआ कि उसके पापा अनार जैसे फटाके नहीं ला सकते। "हम गरीब हैं," यह सोच उसे दुखी करने लगी।

"चिन्या, अंदर क्यों बैठा है? बाहर आ! सामने वाला कोठी वाला बड़ा अनार चलाने वाला है!" पापा की आवाज सुनकर चिन्या बाहर आया। सामने एक आदमी ने अनार चलाया। रंग-बिरंगा फव्वारा आसमान में चमका।

"क्या मजा आया ना!" पापा ने पूछा।

"कैसा मजा? मैंने थोड़ी अनार चलाया है," चिन्या बोला।

"देख सामने के बच्चे कैसे ताली बजा रहे हैं, कूद रहे हैं। उन्होंने भी अनार नहीं चलाया," पापा ने समझाया।

"नहीं चलाया, लेकिन उनके नौकर ने तो चलाया!" चिन्या बोला।

"अगर ऐसा होता तो सिर्फ नौकर को खुशी मिलती, बच्चों को नहीं," पापा ने कहा।

चिन्या चुप रहा।

"देख चिन्या, बड़े लोग, राजा-महाराजा, सेठ—खुद कुछ नहीं करते। उनके नौकर उनके लिए काम करते हैं। सोचो कि ये नौकर तुम्हारे लिए अनार चला रहा है। देखो कितना मजा आएगा!" पापा ने कहा।

"मतलब वो हमारा नौकर है, ऐसा मानू?" चिन्या ने पूछा।

 बस तभी चिन्या ने देखा, “पापा! वो नौकर फिर से एक अनार फोड़ने वाला है!” वह उत्साह से चिल्लाया। नौकर की ओर देखते हुए चिन्या बोला, “अरे भैया! हमारे लिए भी एक अनार फोड़ दो!”

 

नौकर ने सड़क के पार झोपड़ी के सामने खड़े छोटे चिन्या को देखा। उसे अपने गांव में छोड़े बेटे की याद गईवही उत्सुक चेहरा, वही चमकती आँखें। नौकर ने एक बड़ा, मोटा अनार उठाया, चिन्या को दिखाया और उसे जलाया। और लो! लाल, नीले और सुनहरे रंग की चिंगारियाँ आसमान में नाच उठीं। लाल, नीले और सफेद रंग की चमकती चिंगारियाँ आसमान को रोशन कर गईं।

चिन्या ने तालियाँ बजाईं और खुशी से उछल पड़ा। सड़क पार से नौकर को एक हँसता हुआ चेहरा मिला। नौकर ने भी मुस्कराहट लौटाईएक मजबूर पिता की उदास मुस्कान।

उस मुस्कान को देखकर चिन्या के पिता की आँखें भर आईं। बेबस पिताओं के आँसू।

नौकर की तरफ देखकर चिन्या चिल्लाया, " नौकर! हमारे लिए अनार चलाओ!"

लाल, नीले, सफेद रंग की सप्तरंगी रोशनी आसमान में फैल गई। चिन्या ने ताली बजाई, कूदने लगा। उसके चेहरे पर मुस्कान थी।

वह मुस्कान देखकर पापा की आंखों में आंसू गए।


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