शनिवार, 15 नवंबर 2014

अभियान स्वच्छता


ओम्  नमो नमो नम: 
  स्वच्छता देवताय नम:


प्रार्थना 

पहले  शुभ्र वस्त्र धारण करें
फिर डिजाईनर झाडू खरीदें
मिडिया को भी आमंत्रित करें
एक स्माइली फोटो खिंचवायें. 

कुडे को रस्ते पे फैलायें
फिर झाडू से साफ करें
स्वच्छता अभियान को 
ऐसे सफल बनायें. 


शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2014

अनजानी कविता


प्रकृति का गीत
में नहीं गुनगुनाता.

प्यार के तराने
मुझे नहीं भाते.

भगवान से करुणा
मैने नहीं मांगी.

मुझे है दिखता
नग्न सत्य केवल
चीखता हूँ, चिल्लाता हूँ
कोई नहीं सुनता.

कभी कभी लगता है
मेरी कविता भी
मुझसे अनजानी है.

रविवार, 5 अक्तूबर 2014

प्यार की कविता


आँखों में बसती  है 
दिल में में सजती है 
मौन ही बोलती है 

प्यार की कविता.


आँखों की भाषा 
स्पर्श भावनओंका 
जीती है शब्दोंबिना 
प्यार की कविता. 

अभिव्यक्ति

तानाशाह सदैव   सच को दबाने की कोशिश करतें है क्योंकि उहने सदा डर लगता है.....

अभिव्यक्ति 
कान में बोली
छांट दी जीभ उसकी. 

अभिव्यक्ति 
शब्दों में पढ़ी 
जला दी पुस्तकें सारी

अभिव्यक्ति 
चित्रों में दिखी 
फाड़ दिए 
चित्र सारे.

 डर लगता है 
सदा उन्हें 
स्वतंत्रता से, सत्य से 
अभिव्यक्ति से. 

गुरुवार, 2 अक्तूबर 2014

प्याज

प्याज की खेती में किसान को हमेशा घाटा होता है,  ग्राहक की जेब कटती है. सरकार की बदलती नीतियों की वजह से (बीते ५ सालों में १७ निर्यात पर प्रतिबन्ध लगा,  कई दफा आयात कर कम ज्यादा किया) व्यापारी भी डूबते हैं, परन्तु नेता हमेशा ही हँसता है.

किसान को रुलाता है प्याज 
ग्राहक की जेब कटता है प्याज 
व्यापारी को डुबोता है प्याज 
लेकिन 
नेता को सदा हँसता है प्याज 

सोमवार, 29 सितंबर 2014

चिड़िया रानी


एक बार शहर में जाने के बाद कोई वापस गाँव नहीं लौटता.....

चिड़िया रानी आई 
दाना खाया पानी पिया 
गाड़ी में बैठी 
शहर को गयी. 

वापसी की राह 
लेकिन 
भूल गयी.

रविवार, 28 सितंबर 2014

प्रोडक्ट कविता




खट्टी-मीठी, तीखी-कड़वी 
मानवीय भावनाओं को   
शब्दों के सांचे में मिलाता हूँ.

तैयार करता हूँ, सबको लुभाने वाला 
फास्ट फ़ूड की तरह स्वादिष्ट 
प्रोडक्ट कविता 


शनिवार, 27 सितंबर 2014

गिरगिट

महाराष्ट्र में चुनाव होने वाले हैं.  चुनाव का समय गिरगिटों के रंग बदलने का समय होता है, ऐसे ही एक गिरगिट से मैने पुछा, गिरगिट महोदय,  आपका असली रंग क्या है: गिरगिट ने जवाब दिया

लाल नीला हरा पीला
गिरगिट तेरा रंग कौनसा.?

जिस रंग का शिकार 
उस रंग का चोला 
शिकारी हूँ में आला 
रंगहीन गिरगिट बोला. 


मैंने गिरगिट से सवाल किया, शिकार के चक्कर में आप एक पेड़ छोड़कर, दुसरे पेड़ पर कूद जाते हो, आप बिलकुल भी निष्ठावान नहीं हो.  गिरगिट ने जवाब दिया: 

कौन कहता है मुझे दलबदलू 
में तो हूँ एक निष्ठावंत  पाया 

मेरी निष्ठा है  अटूट 
केवल कुर्सी के प्रति. 


कुछ गिरगिटी कहावतें. 

१. जहाँ गिरगिट, वहाँ सत्ता 
२. गिरगिट का अनुसरण करो, सत्ता का सुख भोगो