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शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2014
अनजानी कविता
प्रकृति का गीत
में नहीं गुनगुनाता.
प्यार के तराने
मुझे नहीं भाते.
भगवान से करुणा
मैने नहीं मांगी.
मुझे है दिखता
नग्न सत्य केवल
चीखता हूँ, चिल्लाता हूँ
कोई नहीं सुनता.
कभी कभी लगता है
मेरी कविता भी
मुझसे अनजानी है.
रविवार, 5 अक्तूबर 2014
प्यार की कविता
आँखों में बसती है
दिल में में सजती है
मौन ही बोलती है
प्यार की कविता.
आँखों की भाषा
स्पर्श भावनओंका
जीती है शब्दोंबिना
प्यार की कविता.
अभिव्यक्ति
तानाशाह सदैव सच को दबाने की कोशिश करतें है क्योंकि उहने सदा डर लगता है.....
अभिव्यक्ति
कान में बोली
छांट दी जीभ उसकी.
अभिव्यक्ति
शब्दों में पढ़ी
जला दी पुस्तकें सारी
अभिव्यक्ति
चित्रों में दिखी
फाड़ दिए
चित्र सारे.
डर लगता है
सदा उन्हें
स्वतंत्रता से, सत्य से
अभिव्यक्ति से.
गुरुवार, 2 अक्तूबर 2014
प्याज
प्याज की खेती में किसान को हमेशा घाटा होता है, ग्राहक की जेब कटती है. सरकार की बदलती नीतियों की वजह से (बीते ५ सालों में १७ निर्यात पर प्रतिबन्ध लगा, कई दफा आयात कर कम ज्यादा किया) व्यापारी भी डूबते हैं, परन्तु नेता हमेशा ही हँसता है.
किसान को रुलाता है
प्याज
ग्राहक की जेब कटता है
प्याज
व्यापारी को डुबोता है
प्याज
लेकिन
नेता को सदा हँसता है
प्याज
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