डूबते सूरज के साथ
मैफ़िल समाप्त गयीl
साथी सभी पुराने
विदा ले रहे हैं l
अकेलेपन का खौफ़
ज़ेहन में छाने लगा है।
घुप्प अंधेरे के स्याहे
अब डराने लगे हैं l
कहीं दूर से सुनाई दी
माँ की वही लोरी l
नींद के आगोश में
खोने का वक्त हैl
डूबते सूरज के साथ
मैफ़िल समाप्त गयीl
साथी सभी पुराने
विदा ले रहे हैं l
अकेलेपन का खौफ़
ज़ेहन में छाने लगा है।
घुप्प अंधेरे के स्याहे
अब डराने लगे हैं l
कहीं दूर से सुनाई दी
माँ की वही लोरी l
नींद के आगोश में
खोने का वक्त हैl
पतझड़ की रातों में
वासंती ख़्वाब देखता हूँ l
टेसू फूलोंकी आग में
आज भी जलता हूँ l
अधूरे सपनोंकी
टीस बड़ी गहरी हैl
खुशियों के पलोंकी
यादें बड़ी धुंधली हैl
मिट्टी में मिलकर भी
जीने की आस हैl
सपनोंको पूरा करने की
चाह अभी बाकी हैl