हमारे देश में आज भी गाँव देहात के लोग भी चेहरे पर मुस्कान लाकर राम-राम, जय रामजी, राधे-राधे कहते हुए एक दूसरे का अभिवादन करते हैं। श्रीसार्थ दासबोध समर्थ रामदास स्वामी कहते है, छोटे-बड़े सभी को मिलने पर आदर के साथ नमस्कार करना चाहिए। समर्थ कहते हैं, नमस्कार करने में जेब से कोई पैसा खर्च नहीं होता, अत: नमस्कार करने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए। नौकरी, व्यापार-धंधे सहित सभी सांसरिक कामकाज में नमस्कार करने से फ़ायदा होता है। संत महात्माओंकों नमस्कार करने से पारमार्थिक लाभ भी प्राप्त होते हैं। नमस्कार करने से गली-मोहल्ले के सभी लोग, दुकानदार, रेहड़ी वाले, सब्जी वाले, नाम से शायद न जाने पर चेहरे हमें से जरूर पहचानने लगते हैं। जिसका हमें निश्चित तौर पर फ़ायदा होता है।
रविवार, 29 जनवरी 2023
वार्तालाप (2) : नमस्कार करने के लाभ
बुधवार, 11 जनवरी 2023
वार्तालाप: (1) श्रवण अर्थात सुनना
श्रवण अर्थात सुनना। हम सुनते क्यों है। जाहीर हम जो कुछ सुनते है, उसमें से जो हमारे फायदे का होता है उस पर अमल करते हैं। इस तरह हम अपने जीवन के सांसरिक और आध्यात्मिक उद्देश्य पूर्ण करने में सफल होते हैं।
विद्यार्थी अवस्था में गुरुजनों को सुनने से ज्ञान की प्राप्ति होती है, परीक्षा में उत्तम गुण मिलते है। नौकरी पेशा और व्यवसाय में सफल होने के लिए उन क्षेत्रों के विद्वानों की बाते सुनते हैं, मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं। नौकरी और व्यवसाय में सफल होते हैं। सांसरिक मोह माया से दूर होकर मुक्ति चाहने वाले मुमुक्षु साधक सद्गुरु के मुखारबिन्दु से वेद, उपनिषद, भागवत कथा, ज्ञानेश्वरी जैसे दिव्य ग्रंथों को सुनते हैं। श्रीसार्थ दासबोध में समर्थ रामदास स्वामी कहते हैं, ऐसा करने से भक्ति प्राप्त होती है, मोह भंग होता है, मन शुद्ध होता है, अहंकार नष्ट होता है, आशंकाएं समाप्त होती है और संदेह दूर होते हैं। पिछले दोष बदल जाते हैं, वैमनस्य टूट जाता है, सांसारिक और आध्यात्मिक कार्यों को सिद्ध करने का संकल्प मजबूत हो जाता है।
दो शब्दों में श्रवण का अर्थ है ज्ञानियों को सुनो और निरंतर पुरुषार्थ कर उसे आचरण में लाओ। अपने जीवन को सफल बनाओ।