हिंदी ब्लॉग विवेक पटाईत
लेबल
पुरानी दिल्ली की यादें
लघु कथा
वार्तालाप
वार्तालाप:
विविध लेख
हिंदी कविता
हिंदी कहानी
शनिवार, 26 नवंबर 2016
क्षणिकाएं :नोट रद्दी हो गए थे
करोड़ों के नोट थे
लाखों का लेनदेन था.
नोटों के बिछाने पे
रात को सोया था.
सुबह हुई तो देखा
नोट रद्दी हो गए थे.
जो लक्ष्मीजो पर भरोसा करता है वह एक मूर्ख होता है - समर्थ रामदास
(dasbodh,com)
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)