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शनिवार, 26 नवंबर 2016
क्षणिकाएं :नोट रद्दी हो गए थे
करोड़ों के नोट थे
लाखों का लेनदेन था.
नोटों के बिछाने पे
रात को सोया था.
सुबह हुई तो देखा
नोट रद्दी हो गए थे.
जो लक्ष्मीजो पर भरोसा करता है वह एक मूर्ख होता है - समर्थ रामदास
(dasbodh,com)
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