सोमवार, 29 सितंबर 2014

चिड़िया रानी


एक बार शहर में जाने के बाद कोई वापस गाँव नहीं लौटता.....

चिड़िया रानी आई 
दाना खाया पानी पिया 
गाड़ी में बैठी 
शहर को गयी. 

वापसी की राह 
लेकिन 
भूल गयी.

रविवार, 28 सितंबर 2014

प्रोडक्ट कविता




खट्टी-मीठी, तीखी-कड़वी 
मानवीय भावनाओं को   
शब्दों के सांचे में मिलाता हूँ.

तैयार करता हूँ, सबको लुभाने वाला 
फास्ट फ़ूड की तरह स्वादिष्ट 
प्रोडक्ट कविता 


शनिवार, 27 सितंबर 2014

गिरगिट

महाराष्ट्र में चुनाव होने वाले हैं.  चुनाव का समय गिरगिटों के रंग बदलने का समय होता है, ऐसे ही एक गिरगिट से मैने पुछा, गिरगिट महोदय,  आपका असली रंग क्या है: गिरगिट ने जवाब दिया

लाल नीला हरा पीला
गिरगिट तेरा रंग कौनसा.?

जिस रंग का शिकार 
उस रंग का चोला 
शिकारी हूँ में आला 
रंगहीन गिरगिट बोला. 


मैंने गिरगिट से सवाल किया, शिकार के चक्कर में आप एक पेड़ छोड़कर, दुसरे पेड़ पर कूद जाते हो, आप बिलकुल भी निष्ठावान नहीं हो.  गिरगिट ने जवाब दिया: 

कौन कहता है मुझे दलबदलू 
में तो हूँ एक निष्ठावंत  पाया 

मेरी निष्ठा है  अटूट 
केवल कुर्सी के प्रति. 


कुछ गिरगिटी कहावतें. 

१. जहाँ गिरगिट, वहाँ सत्ता 
२. गिरगिट का अनुसरण करो, सत्ता का सुख भोगो