शुक्रवार, 1 सितंबर 2017

ययाति



क्षमा, दया आणि सहिष्णुता
है मनुजताके गहने 
 त्यागसहित भोग में है 
मानव जीवनकी  सार्थकता  
इति ऋषि वचन.

देख कर  चिरकुमारी
अक्षय अखंडित वसुन्धरा
भूल गया ययाति 
  ऋषि वचनों को. 

"क्षमा और  दया
है निर्बलोंकी भाषा" 
वसुंधरा है वीरभोग्या 
शक्तिशाली को ही है यहाँ 
जीने का अधिकार. 

पैरों तले कुचल दिया उसने 
शुद्रतम जीवन.
जों बड़े थे, वे भी बने 
मृगया मनोरंजन के साधन.

राक्षसी अट्टाहास कर 
विक्षिप्त बलात्कारी मनुजपुत्र
टूट पड़ा धरती पर 
तार-तार कर दिए उसने 
धरती के हरेभरे वसन. 

गड़ा दिए धरती के 
 कोमल वक्ष में  
 अपने  राक्षसी पैने दांत
शर्म से झुक गयी मनुजता 
जब बहने लगा रुधिर सीने से. 

घायल धरती के ज़ख्मों से 
उठने लगी दुर्गन्ध 
ययाति का दम भी 
तब उसमे घुटने लगा. 

स्वर्गस्थ देव चिल्लाये 
ययाति, धरती से बंधी है 
तेरे जीवन की गांठ 
छोड़ भोग मार्ग 
बचा अपनी धरती को. 
देख कर धरती की दशा 
ययाति भी सोचने लगा. 
क्या करदूं अपनी शक्ति से 
देवताओंको उनके 
स्वर्णिम स्वर्ग से च्युत 
तब  फिर भोग सकूंगा 
नित नूतन अप्सराओंको. 
क्या!
अक्षय अमृत का पात्र
बुझा सकेगा मेरी प्यास. 

या ढूँढू अपने लिए 
सदूर अंतरिक्ष में 
   दूसरी धरा.  

समय ही लिखेगा 
भाग्य मनुजपुत्र का 
त्याग कर नीच भोग मार्ग 
बचाएगा अपनी धरा को. 

या 

खो जायेगा मनुजपुत्र 
गहरे वीरान अन्तरिक्ष में 
सदा के लिए? 


शुक्रवार, 11 अगस्त 2017

अब की सावन में



आज मनुष्य ने धरती को नोच-नोच कर लुह्लुहान कर दिया है.  सड़े-गले   घावों से उठने वाली दुर्गंधी में साँस लेना भी दुष्कर हो गया है. पहले तो यमुना में  जहर उगलने वाला एक कालिय नाग था. परन्तु आज सभी नदी नालों में हजारो कालिय  नाग विष उगल रहे है. समस्त जल विषाक्त हो गया है.  प्रतिदिन धरती पर जीवन नष्ट हो रहा है. क्या यह प्रलय का आग़ाज तो नहीं है.

वडनावल: समुद्र से उठाने वाली प्रलयंकारी अग्नि 
संवर्तक मेघ: जलप्रलय के समय बरसने वाला मेघ. 


अब की सावन में 
वडनावल उठे समुद्र से 
सौ सालों तक बरसे
मेघ संवर्तक प्रलयंकारी.

जीर्ण शीर्ण काया को तज 
जलप्लावित प्रलय समुद्र में  
फिर अमृत स्नान करे धरती.

नववधु सी कोमल काया 
हरित वस्त्र का कर शृंगार 
गालों में लाली लिए 
धरती फिर मुस्काए.

नव सृजन के अंकुर फूटे 
कवी गण गाये 
वेदों की नयी ऋचाएं.

अब की सावन में 
वडनावल उठे समुद्र से 
सौ सालों तक बरसे 
मेघ संवर्तक प्रलयंकारी.