बचपन के दिन याद आते हैं. मां संध्या के समय भगवान के सामने दिया जलाती थी. साथ ही हम बच्चे जोर- जोर से शुभम करोति कल्याणं, आरोग्यं सुख-संपदा .. का पाठ करते थे. साथ ही अपनी मातृभाषा मराठी में मां लक्ष्मी को घर आने का न्योता देते थे. जिसका हिंदी अनुवाद निम्न है:
आजा लक्ष्मी मेरे घर, मेरा घर तेरे लिये.
घर से पीडा बाहर जाये, बाहर कि लक्ष्मी घर में आये.
संध्या के समय सचमुच लक्ष्मी घर आती है. गृह स्वामी दिनभर मेहनत-मजदूरी कर यह लक्ष्मी घर लाता है. यह सौभाग्य सूचक श्रीलक्ष्मी है जो अपने साथ घर में सुख, चैन एवं सुख-संपन्नता लाती है. इसी श्रीलक्ष्मी का स्वागत हम करते हैं. हम सभी जानते हैं रात्री के अंधकार में दैवीय शक्तियां क्षीण होती हैं. इसीलिये हम तिजोरी, अलमारी अथवा संदूक को ताला लगाकर इसे सुरक्षित रखने का प्रयास करते हैं.
आजा लक्ष्मी मेरे घर, मेरा घर तेरे लिये.
घर से पीडा बाहर जाये, बाहर कि लक्ष्मी घर में आये.
संध्या के समय सचमुच लक्ष्मी घर आती है. गृह स्वामी दिनभर मेहनत-मजदूरी कर यह लक्ष्मी घर लाता है. यह सौभाग्य सूचक श्रीलक्ष्मी है जो अपने साथ घर में सुख, चैन एवं सुख-संपन्नता लाती है. इसी श्रीलक्ष्मी का स्वागत हम करते हैं. हम सभी जानते हैं रात्री के अंधकार में दैवीय शक्तियां क्षीण होती हैं. इसीलिये हम तिजोरी, अलमारी अथवा संदूक को ताला लगाकर इसे सुरक्षित रखने का प्रयास करते हैं.