गुरुवार, 25 दिसंबर 2025

क्या गलती हुई?

 

रात को पुलिस ने वहाँ छापा मारा। प्रतिष्ठित स्कूलों में पढ़ने वाले, शिक्षित परिवारों के 15 से 18 वर्ष के किशोर नशे की हालत में पकड़े गए। उन्हें समझा-बुझाकर छोड़ दिया गया। उनमें सोनल भी थी।

घर पहुंचते ही सोनल की माँ  का स्वर गूंजा "ऐसे ही चलती रही तो समाज में मुँह दिखाने की जगह नहीं रहेगी!"

सोनल चीख पड़ी, "बस! तुम्हारे प्रवचन सुन-सुनकर कान पक गए हैं! मैंने किया क्या? थोड़ी व्हिस्की पी, दोस्तों के साथ मस्ती की—बस इतना ही!

घर में तो कॉकटेल पार्टी होती है, और तुम्हारे डांस के तौर-तरीके? उस दिन बैकलेस स्लीवलेस पहनकर, सबके सामने बास के गले में बाहें डालकर नाच रही थी... और उसका हाथ—"

चटाक! सोनल चीख उठी।

सोनल के पिता, स्तब्ध, माँ-बेटी को फूट-फूटकर रोते देख रहे थे।
सोचते रहे—क्या गलती हुई?

सोनल के माता-पिता ने जो आदर्श सिखाए, उन्हें खुद जी नहीं पाए। उनके निजी व्यवहार और सामाजिक नैतिकता में विरोधाभास था, जिससे बेटी भ्रमित हुई। जब आदर्श केवल शब्दों में रह जाते हैं, तो उनका मार्गदर्शन खो जाता है।

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