अंग्रेजो ने जातिगत और धार्मिक आधार पर सैनिक रेजीमेंट बनाकर, भारतीय सैनिकों की मदद से भारत पर कब्जा किया. ब्रिटिश राज के भारत में स्थायित्व लिए जरूरी था की भारत के लोग एक दूसरे से घृणा करते रहे. मैकाले की शिक्षा प्रणाली का मुख्य उद्देश्य भारतीयों में एक दूसरे के प्रति घृणा की भावना फैलाना था. आज हम सबको मालूम है, जो कंप्यूटर में फीड होता है वही कंप्यूटर उगलता है. महात्मा पेरियारजी ने पढ़ा, भगवान श्रीराम के नेतृत्व में उतर भारतीयों ने दक्षिण भारतीय को पराजित किया. उन्होंने इसे सच मान लिया. पेरियार जी ने इस आधार पर रामकथा लिखी. परिणाम तमिलनाडु में उत्तर भारतीयों के खिलाफ घृणा फैलाने में ब्रिटिश कामयाब रहे. यदि पेरियारजी ने वाल्मीकि रामायण पढ़ी होती तो शायद उनकी राम कथा अलग होती. एक दिन ऑफिस में एक तमिलवासी सहयोगी से यही चर्चा हुई. उसने कहा रामायण काल से आप हम पर अत्याचार कर रहे हो. मैंने कहा यह तुम्हारी गलत धारणा है. मैंने कहा रावण का राज्य दंडकारण्य से समस्त दक्षिण भारत तक फैला हुआ था. रावण की लंका सोने की थी अर्थात उसने संपूर्ण दक्षिण भारत को लूट कर लंका को सोने का बनाया था जैसे कि आज अमेरिकी एमएनसी दुनिया भर से धन बटोरकर अमेरिका का खज़ाना भरती है.
मैंने आगे कहा श्रीराम वनवास बिताने विंध्याचल पार करके दंडकारण्य आए जो पंच द्रविड़ (आज का महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, केरला, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश) प्रदेश का हिस्सा था. जहां राक्षसराज रावण का शासन था. श्रीराम की शबरी से मुलाकात दक्षिण भारत में हुई. वानरराज सुग्रीव से मित्रता भी दक्षिण भारत में हुई. श्रीराम और वानरराज सुग्रीव के नेतृत्व में दक्षिण भारत में रहने वाले रहने वाली वनवासी जातियां वानर, भील, शबर इत्यादि को संगठित हुई. दूसरे शब्दोंमे दक्षिण भारतीयों की मदत से श्रीराम ने राक्षसराज रावण को पराजित किया. दक्षिण भारत उतर के एक व्यक्ति की सहायता से राक्षसी राज से मुक्त हुआ. उसने कहा उसने इस दृष्टि से कभी विचार किया ही नहीं. मैंने कहा इसमें तुम्हारा दोष नहीं है. मैंकाले शिक्षा प्रणाली हमारे दिमाग में जो प्रोग्रामिंग करती है हम उसे ही सच मानने लगते है. आज जरूरत है भारत का सही सामाजिक और राजनीतिक इतिहास पढ़ाने की ताकि हमे सच पता चले.
अभी हाल में एक दक्षिण भारतीय संसद ने गौ मूत्र और उत्तर भारतीय पर पर टिप्पणी की. शायद उसे मालूम नहीं, दक्षिण के एक राज्य केरल में सर्वाधिक आयुर्वेदिक चिकित्सक है और वे जानलेवा बीमारियों केंसर आदि की चिकित्सा में गौ मूत्र का उपयोग करते है. देश विदेश से हर साल हजारों रोगी वहां चिकित्सा के लिए आते है. सांसद को यदि सही जानकारी होती तो वे ऐसी टिप्पणी करते नहीं.
श्रीराम ने उत्तर और दक्षिण भारत को राजनीतिक रूप से एक करने का कार्य किया. बाद में केरल के आदि शंकराचार्य और दक्षिण के संत रामानंद ने दक्षिण से उत्तर आकर उत्तर भारतीय जनता को प्रभु भक्ति का मार्ग दिखाया. देश को सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से एक किया.
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