सोमवार, 3 जुलाई 2023

वार्तालाप : गुरु कैसा हो

 आज गुरु पूर्णिमा है, आज हम अपने गुरु के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। हमारे प्रथम गुरु हमारे माता-पिता हैं जो हमें संस्कार देते हैं। दूसरा गुरु हमारा शिक्षक होता है जो हमें ज्ञान प्रदान करता है।


अपने माता-पिता और शिक्षकों को चुनना हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन हमें धर्म मार्ग पर चलते हुए संसार और परमार्थ को सफल बनाने के लिए गुरु के मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। हम वर्तमान और अतीत के महान संतों, महात्माओं से प्रेरणा और मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं, यही हमारे गुरु हैं।

अब हमारे सामने यह प्रश्न आता है कि गुरु कौन हो? समर्थ रामदास कहते हैं, "जो जैसा बोलता है, वैसा ही आचरण करता है, उसी की वाणी को लोग प्रमाण मानते हैं"। ऐसे व्यक्तियोंका ही लोग अनुकरण करते हैं। वचन और कर्म जिसके समान हो उसे ही गुरु मानना ​​चाहिए। इसका एक उदाहरण स्वामी रामदेव हैं जिन्हें लोग योग गुरु कहते हैं। क्योंकि वे खुद सुबह तीन घंटे नियमित योग करते हैं और कराते हैं। उनकी योग कक्षा भारतीय समय के अनुसार सुबह पांच बजे शुरू होती है, चाहे वह दुनिया के किसी भी हिस्से में हों। सांसरिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए हमें ऐसे ही गुरु की तलाश करनी चाहिए। दूसरा प्रश्न यह है कि हमें गुरु से क्या सीखना चाहिए जिससे संसार सुचारु हो जाए। श्रीमद भागवत में व्यास जी कहते हैं "कृष्ण वन्दे जगद्गुरु"। भगवान कृष्ण को जगतगुरु इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने जीवन भर निस्वार्थ भाव से अधर्म के विनाश के लिए कार्य कियाऔर पृथ्वी पर सत्य और धर्म की स्थापना की। ऐसा करते समय श्रीकृष्ण का कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं था। केवल समाज का कल्याण ही उनके जीवन का लक्ष्य था। उन्होंने चंगा करने के चमत्कार नहीं किये, जादू-टोना नहीं किया, किसी की घोड़ी नहीं ढूंढी, पानी में दीपक नहीं जलाया और किसी पर कृपा नहीं की। श्रीकृष्ण ने भ्रमित अर्जुन को सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने और निष्काम कर्म करने की सलाह दी। हमें ऐसे गुरु की तलाश करनी चाहिए। उसी के बताए रस्ते पर चलना चाहिए।

अंत में, हमें यह याद रखना चाहिए कि गुरु किसी व्यक्तिगत स्वार्थ को सिद्ध करने का साधन नहीं है। यदि कोई ऐसा आश्वासन देता है, तो वह निश्चित रूप से गुरु बनने के योग्य नहीं है।

जहां तक मेरा प्रश्न है, मैं श्रीकृष्ण, समर्थ रामदास, स्वामी दयानन्द और उनकी परंपरा चलकर जो समाज के आर्थिक और आध्यात्मिक उत्थान के लिए कार्य करते हैं, उनको गुरु मानता हूँ और प्रेरणा लेता हूँ।

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