दक्खनी हवाएँ
सुगंधी हवाएँ
प्राण जगे
*चंद्रापीड के.
दक्खनी हवाएँ
विषैली हवाएँ
प्राण हरे
हिमालय के.
टिप: वसंत ऋतु में मलयगिरी की सुगन्धित वायु हिमालय स्थित मानसरोवर तक पहुँची तब जन्म-जन्मान्तर से सोये चंद्रापीड देह में चेतना का संचार होता है - कादंबरी.
आज जहरीली और स्मागी हवाएँ हिमालय के ही प्राण ले रही है.
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