एक प्यासी नदी
वीरान रेगिस्तान में
भटक रही थी
पानी के तलाश में.
आसमान में उड़ते
गिद्ध से नदी ने पुछा
भैया यहाँ कही
मिलेगा क्या पानी?
बहना पानी का तो पता नहीं
शायद आगे मिल जाए
मुक्ति क मार्ग तुम्हे .
एक मोड़ पर नदी ने देखा
सूखे बरगद के पेड़ की टहनी पर
लटकी हुई थी एक लाश.
धरतीपर पडा था
खोपड़ियों का एक ढेर
खेल रहे थे उस पर
गिद्ध के प्यारे बच्चे
फुटबाल फुटबाल.
टीप:
बरगद का पेड़ सबको शरण देता है. परन्तु यह सूख़ चुका है. यहाँ बरगद का पेड़ आज की शासन व्यवस्था का प्रतिक है.
गिद्ध आज के राजनेता है. जो किसानों आत्महत्या पर भी राजनीति कर रहें हैं. जैसे गिद्ध के बच्चे फुटबाल खेल में केवल एक दुसरे को पास दे रहे हैं. अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर डालने का कार्य.
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