सोमवार, 20 जुलाई 2015

छुआछूत - पहले कुआं था आज टॉयलेट एवं विदेशी निवेश


कभी हरिजनों को कुएं से पानी नहीं भरने नहीं दिया जाता था. आज के ब्राह्मणों  (आईएस अधिकारी) के टॉयलेट का इस्तेमाल छोटा कर्मचारी (हरिजन) नहीं कर सकता. सकार बदल गई परन्तु ब्राह्मणवाद नहीं बदला....
कुएं की  जगह उसने
टॉयलेट चमकाया 
छुआछूत की जंजीरों से 
उसे भी जकड़ा.


विदेशी निवेश का परिणाम अंतत: यही होगा  
सात समुन्दर पार से 
कारीगर एक आया.
रूपये की जगह उसने 
आखिर डाॅलर ही चमकाया.

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